4 Oct 2008

Kalyug..

Something came up in the discussions of two frustrated engineers last night. I thought why not to write this one here.

तो साहब, अर्ज किया है -

एक वक्त था जब दोस्त कहते थे कि दोस्ती के लिए तो जान भी हाजिर है,
आज देखिये बीवी को जान कहते हैं, और मांगो तो मना करते हैं ...

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